कर्नाटक सरकार ने आधिकारिक तौर पर मासिक धर्म अवकाश नीति, 2025 लागू कर दी है, जो अब प्रभावी है। श्रम मंत्री संतोष लाड ने इसके समावेशी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए कहा, “कर्नाटक इस नीति को व्यापक रूप से पेश करने वाला पहला राज्य होगा। यह सभी महिला कर्मचारियों पर लागू होता है, चाहे वह सरकारी या निजी क्षेत्र में हो, जो इसे वास्तव में प्रगतिशील पहल बनाता है।”
पूरे भारत में मासिक धर्म अवकाश: कर्नाटक का अनोखा दृष्टिकोण
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केरल: महिला आईटीआई प्रशिक्षुओं के लिए 2 दिन का मासिक अवकाश।
Bihar & Odisha: वार्षिक मासिक धर्म अवकाश के 12 दिन, लेकिन केवल राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए।
Karnataka: इसमें सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में सभी महिला कर्मचारियों को शामिल किया गया है, जिससे यह क्षेत्र-व्यापी, समावेशी नीति लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है।//
महिलाओं के स्वास्थ्य का समर्थन: नीति क्यों मायने रखती है
कर्नाटक सरकार की पहल इस बात को स्वीकार करती है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को शारीरिक और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है, खासकर कामकाजी माहौल में। श्रम मंत्री संतोष लाड ने कहा कि प्रति वर्ष छह सवैतनिक छुट्टियों का पिछला प्रस्ताव पर्याप्त नहीं था। वर्तमान नीति महिलाओं की स्वास्थ्य आवश्यकताओं के साथ बेहतर तालमेल बिठाते हुए सालाना 12 भुगतान दिवस – प्रति माह एक दिन – प्रदान करती है। यह 2024 के मसौदे से एक महत्वपूर्ण विकास का प्रतीक है, जो नीति को महिला कर्मचारियों के लिए अधिक व्यापक और सहायक बनाता है।